पुर्तगाली : -
यूरोपीय कंपनियों का आगमन | मॉर्डन हिस्ट्री ऑफ इंडिया | हिस्ट्री बुक :-
- प्रथम यूरोपियन , जिसने यूरोप से भारत के लिए। सीधे समुद्री मार्ग की खोज की, वास्को - डी - गामा पुर्तगाली नागरिक था।
- वह सबसे पहले 1498 ईo में कालीकट के कप्पकदाबू नामक बंदरगाह पर अपना बेड़ा उतारा , जहां के हिंदू - शासक जमोरिन ( उनकी पैतृक उपाधि) ने सदाभावपूर्ण ढंग से उसका स्वागत किया। किंतु कालीकट में बसे हुए अरब व्यापारियों ने उसके प्रति वैमनस्य का रवैया अपनाया। ज्ञातव्य है के वास्को डी गामा पुर्तगाल के शासक डॉन हेनरिक ( अन्य संज्ञा प्रिंस हेनरी द नेविगेटर ) के प्रतिनिधि के रूप में भारत आया था। वह भारत से लौटते समय जो मसाला अपने साथ लेकर गया था, उससे उसने 60 गुना अधिक मुनाफा कमाया जिससे अन्य पुर्तगाली व्यापारियों को प्रोत्साहन मिला।
- 1500 ईo मे द्वितीय पुर्तगाली अभियानों से तहत पेड्रो अलवारेज कैबराल 13 जहाजों के एक बेड़े का नायक बनकर भारत आया। उसका अरब व्यापारियों के साथ भीषण संघर्ष हुआ। अंतः अरब व्यापारी पराजित हुए। अरबो को पराजित करने के बाद कैब्रॉल ने कोचीन और केन्नानेर के शासकों के साथ मित्रता स्थापित की। बाद में उसने यह अनुभव किया की क्षेत्रीय राजाओं के आपसी विवाद से लाभ उठाकर शक्ति द्वारा संबंधित क्षेत्र में अपना अधिकार स्थापित किया जा सकता है और यही धारणा बाद में पुर्तगाली नीति का आधार बनी।
- वास्को डी गामा
- वास्को डी गामा 1502 ईo में पुनः भारत आया। 1503 में पुर्तगालियों की कोचीन में पहली फैक्ट्री स्थापित की गई। 1505 ईo में कन्नूर में दूसरी फैक्ट्री स्थापित की गई। पुर्तगालियों ने पूर्वी जगत और यूरोप के मध्य होने वाले संपूर्ण व्यापार पर एकाधिकार के उद्देश्य से 1505 ईo में एक नई नीति अपनाई , जिसके अंतर्गत 3 वर्ष के लिए गवर्नर को नियुक्त किया गया। सर्वप्रथम इस पद केलिए फ्रांसीसी डी अलमिडा को चुना गया। ध्यातव्य है की वास्को डी गामा भारत में कुल तीन बार आया था और तीसरी बार 5 सितंबर 1524 ईo को पुर्तगाली वायसराय के रूप में आया और उसके थी पर 1524 ईo में कोचीन में मृत्यु हो गई।
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