Trilochan shastri | त्रिलोचन शास्त्री कवि

 

पूरा नामत्रिलोचन शास्त्री
अन्य नामवासुदेव सिंह (मूल नाम)
जन्म20 अगस्त1917
जन्म भूमिसुल्तानपुरउत्तर प्रदेश
मृत्यु9 दिसम्बर2007
मृत्यु स्थानगाज़ियाबादउत्तर प्रदेश
कर्म भूमिभारत
मुख्य रचनाएँ'गुलाब और बुलबुल', 'उस जनपद का कवि हूँ', 'ताप के ताये हुए दिन', 'तुम्हें सौंपता हूँ' और 'मेरा घर' आदि।
विद्यालयकाशी हिन्दू विश्वविद्यालय
शिक्षाएम.ए. (अंग्रेज़ी) एवं संस्कृत में 'शास्त्री' की डिग्री
पुरस्कार-उपाधि'साहित्य अकादमी पुरस्कार' (1982), 'शलाका सम्मान' (1989-1990),
प्रसिद्धिकवि तथा लेखक
नागरिकताभारतीय
अन्य जानकारीत्रिलोचन शास्त्री हिन्दी के अतिरिक्त अरबी और फ़ारसी भाषाओं के निष्णात ज्ञाता माने जाते थे। पत्रकारिता के क्षेत्र में भी वे ख़ासे सक्रिय रहे।

बढ़ अकेला। यदि कोई संग तेरे पंथ वेला बढ़ अकेला। चरण ये तेरे रुके ही यदि रहेंगे , देखने वाले तुझे कह, क्या कहेंगे। हो न कुंठित, हो न स्तंभित,यह मधुर अभियान वेला बढ़ अकेला। श्वास ये संगी तरंगी क्षण प्रति क्षण,और प्रति पदचिन्ह परिचित पंथके कण। शून्य का शृंगार तू, उपहार तू किस काम मेला बढ़ अकेला। विश्व जीवन मूक दिन का प्राणमय स्वर , सांद्र पर्वत - श्रृंग पर अभिराम निर्झर। सकल जीवन जो जगत के , खेल भर उल्लास खेला बढ़ अकेला।

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